तीन पैमाने गिना राहुल गांधी ने किया दावा- श्रीलंका जैसे ही हैं भारत के हालात

दिल्ली व्यूरो
नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का दावा है कि कुछ-कुछ मायनों में भारत की स्थिति भी श्रीलंका जैसी ही है। उन्होंने भारत और श्रीलंका परिस्थितियों की तुलना के तीन पैमाने लिए और ग्राफ के जरिए बताया कि दोनों देश इन पैमानों पर एक जैसे ही दिखते हैं। राहुल ने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर यह ग्राफ शेयर करते हुए लिखा, ‘लोगों का ध्यान भटकाने से तथ्य बदल नहीं जाएंगे। भारत बहुत हद तक श्रीलंका जैसा ही दिखता है।’ उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी केंद्र की मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण बढ़ती महंगाई से हलकान है।

केरल के वायनाड से कांग्रेस सासंद ने अपने ट्वीट में जो ग्राफ शेयर किया है, उसमें भारत-श्रीलंका की तुलना के तीन पैमाने लिए गए हैं। उनमें एक बेरोजगारी, दूसरा पेट्रोल की कीमतें और तीसरा सांप्रदायिक हिंसा के मामले हैं। राहुल गांधी की तरफ से शेयर इस ग्राफ में नीचे बताया गया है कि ये ग्राफ किन स्रोतों के आधार पर तैयार किए गए। सोर्स के तौर पर सशस्त्र संघर्ष स्थान एवं घटना आंकड़ा परियोजना (ACLED), लोकसभा अतारांकित प्रश्न, सीएमआईई, पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल, सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका, साइपेटको (CYPETCO) का जिक्र किया गया है।
राहुल गांधी के ट्वीट वाले ग्राफ के मुताबिक, बीते पांच वर्षों 2017 से 2021 के बीच बेरोजगारी के पैमाने पर भारत और श्रीलंका की स्थिति बिल्कुल एक जैसी रही है। दोनों देशों में वर्ष 2017 के मुकाबले 2020 में सर्वोच्च स्तर पर रही जबकि अगले वर्ष 2021 में दोनों देशों ने बेरोजगारी कम करने में सफलता पाई है। वहीं, पेट्रोल की कीमत के मामले में भी भारत और श्रीलंका पूरी तरह नहीं तो करीब-करीब बराबर हालात से गुजर रहे हैं।

जहां तक बात सांप्रदायिक हिंसा की है तो भारत में 2019 में सांप्रदायिक हिंसा में भारी कमी आई लेकिन अगले ही वर्ष 2020 में यह आंकड़ा रिकॉर्ड पर पहुंच गया। उधर, श्रीलंका में 2019 में खूब सांप्रदायिक हिंसा हुई जबकि अगले वर्ष 2020 में इन घटनाओं में भारी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन अगले ही वर्ष 2021 में इसने रिकॉर्ड तोड़ दिया। कुल मिलाकर भारत और श्रीलंका में सांप्रदायिक हिंसा का ग्राफ ऊपर ही जा रहा है।
उधर, कांग्रेस महासचिव और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने महंगाई को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘आपकी पाई-पाई जोड़कर बनाई गई मेहनत की कमाई पर महंगाई की मार है। भाजपा सरकार की एक भी आर्थिक नीति ऐसी नहीं है जिससे मध्य वर्ग, गरीब तबके की आमदनी ज्यादा हो सके व खर्च कम। मध्यम वर्ग और गरीब तबके के लोगों को ये डर सता रहा है कि कहीं उनको रोजाना का खर्च चलाने के लिए कर्ज न लेना पड़े।’
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया कि महंगाई को लेकर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारा मानना है कि आम लोगों का जीवन बसर करना दुभर होता जा रहा है और इस सरकार को बिना वक्त जाया किए लोगों की जेब में पैसा डालकर उपभोग बढ़ाना चाहिए। महंगाई को रोकने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि ये कदम उठाने से महंगाई पर असर होगा।
बहरहाल, राहुल गांधी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर बेरोजगारी, महंगाई, सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके खास निशाने पर रहते हैं। राहुल गांधी ने मौजूदा सरकार को कभी सूट-बूट की सरकार तो कभी अंबानी-अडानी की सरकार कहा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चौकीदार ही चोर है जैसा नारा दिया। यह अलग बात है कि राहुल गांधी के आरोपों का जनता पर बहुत सीमित असर ही हो पाता है जैसा कि चुनाव नतीजे बताते रहते हैं। हालांकि, राहुल गांधी ट्विटर पर केंद्र सरकार को लताड़ने का मौका एक दिन भी नहीं चूकते हैं।

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